मुंबई: महाराष्ट्र में हाल ही के विधानसभा चुनावों में महायुति सरकार ने जोरदार वापसी की है। लोकसभा चुनावों में झटका खाने के बाद सत्ता में बने रहना किसी बड़ी जीत से कम नहीं है। लेकिन इस कामयाबी के पीछे एक योजना ने खामोशी से बड़ा रोल निभाया लाडली बहना योजना।
योजना को लोकसभा नतीजों के तुरंत बाद लॉन्च किया गया था, और इसका असर विधानसभा चुनावों में साफ दिखा। महिलाओं के बीच योजना को काफी पसंद किया गया, क्योंकि इसके तहत हर महीने ₹1,500 सीधे उनके खाते में आने लगे।
लेकिन अब जो खबर आ रही है, उसने हजारों लाभार्थी महिलाओं की चिंता बढ़ा दी है।
क्या है ताज़ा अपडेट?
सरकार ने कुछ समय पहले यह ऐलान किया था कि वो लाडली बहना योजना के लाभार्थियों की जांच करेगी, ताकि अपात्र महिलाओं को बाहर किया जा सके और फंडिंग का बोझ कम हो। लेकिन अब ‘लोकमत’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ये पूरी जांच प्रक्रिया अस्थायी तौर पर रोक दी गई है।
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क्यों?
दरअसल, अगले 4-5 महीनों में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं। इसमें नगर निगम, नगर पालिका, जिला परिषद, पंचायत समिति जैसी इकाइयाँ शामिल हैं। सरकार को डर है कि अगर अभी जांच शुरू हुई तो महिला वोटर्स नाराज़ हो सकती हैं। यही वजह है कि फिलहाल जांच को टाल दिया गया है।
किसे मिलती है योजना का फायदा?
इस योजना का फायदा 21 से 65 साल की उन महिलाओं को मिलता है जिनका आवेदन स्वीकृत होता है। अभी तक करीब 2 करोड़ 34 लाख महिलाएं इससे जुड़ चुकी हैं। हर महीने ₹1,500 देने का मतलब है कि सालाना करीब ₹50,000 करोड़ का खर्च सरकार पर आ रहा है।
इतना बड़ा खर्च झेलने के लिए सरकार को दूसरी योजनाओं का बजट कम करना पड़ रहा है। इसलिए सरकार अपात्र लाभार्थियों को हटाने के लिए कड़ाई से दस्तावेज़ जांच शुरू करना चाहती है।
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आगे क्या होगा?
सूत्रों की मानें तो चुनाव खत्म होते ही जांच दोबारा शुरू होगी। राज्य सरकार ने पहले ही केंद्र से आयकर देने वाले परिवारों की डिटेल्स मांग ली है, ताकि यह पता चल सके कि कौन महिलाएं अपात्र हैं। ऐसी महिलाएं जिनकी पारिवारिक सालाना आय ₹2.5 लाख से ज्यादा है, उन्हें योजना से बाहर किया जा सकता है।
लेकिन तब तक यानी चुनाव खत्म होने तक सभी रजिस्टर्ड महिलाओं को लाभ मिलता रहेगा।